शिवपुरी ।अनोखी पहल महिला समिति शिवपुरी द्वारा दिनांक 3 जनवरी 2025 को कबीर वाटिका कोली समाज मंदिर पर देश की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्...
शिवपुरी।अनोखी पहल महिला समिति शिवपुरी द्वारा दिनांक 3 जनवरी 2025 को कबीर वाटिका कोली समाज मंदिर पर देश की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुलेजी की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ नन्ही मुन्नी बालिकाओं द्वारा माता सावित्रीबाई फुले जी के तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर किया गया। समिति की अध्यक्ष श्रीमती कल्पना सिनोरिया द्वारा माता सावित्रीबाई जी के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला गया तत्पश्चात श्रीमती रानी माहौर द्वारा कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए महिलाओं का समाज मे शिक्षित होना व लड़कियों का पढ़ा लिखा होना बहुत जरूरी है के बारे में महिलाओं को जागरूक किया गया। कार्यक्रम में समिति की उपाध्यक्ष श्री मती आरती शाक्य, सचिव संध्या शाक्य, सह सचिव आकांक्षा राठौर, कोषाध्यक्ष सोना चौरसिया एवं ज्योति शाक्य, सीमा शाक्य, श्री मती कृष्णा कबीर, श्री मती मीना शाक्य, मनीषा शाक्य, सविता शाक्य, प्रीति पाराशर, कन्नैहालाल जी, मयंक अरोरा (समाज सेवी) सदस्य के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में हमारी संस्था की सदस्य हेमलता माहौर द्वारा कार्यक्रम में आई सभी महिलाओं का आभार व्यक्त किया गया।कार्यक्रम उपरांत प्रसाद की व्यवस्था भी समिति द्वारा की गई है।
पढ़िए सावित्री बाई फुले जी के बारे में -
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में महात्मा ज्योतिराव फुले से हुआ था।सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
5 सितंबर 1848 को पुणे में की थी विद्यालय की स्थापना -5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्हों ने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया।
सावित्री बाई फुले पर प्रकाशित साहित्य की सूची -
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका : शैलजा मोलक)
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक : ना.ग. पवार)
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखक : नागेश सुरवसे)
- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले (विद्याविकास) (लेखक : ज्ञानेश्वर धानोरकर)
- त्या होत्या म्हणून (लेखिका : डॉ. विजया वाड)
- 'व्हय मी सावित्रीबाई फुले' हे नाटक (एकपात्री प्रयोगकर्ती आद्य अभिनेत्री : सुषमा देशपांडे) (अन्य सादरकर्त्या - डॉ. वैशाली झगडे)
- साध्वी सावित्रीबाई फुले (लेखिका : फुलवंता झोडगे)
- सावित्रीबाई फुले (लेखक : अभय सदावर्ते)
- सावित्रीबाई फुले (लेखिका : निशा डंके)
- सावित्रीबाई फुले (लेखक : डी.बी. पाटील )
- सावित्रीबाई फुले - श्रध्दा (लेखक : मोहम्मद शाकीर)
- सावित्रीबाई फुले (लेखिका : प्रतिमा इंगोले )
- सावित्रीबाई फुले (लेखक : जी.ए. उगले)
- सावित्रीबाई फुले (लेखिका : मंगला गोखले)
- सावित्रीबाई फुले : अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्व (लेखक : ना.ग. पवार)
- 'हाँ मैं सावित्रीबाई फुले' (हिंदी), (प्रकाशक : अझिम प्रेमजी विद्यापीठ)
- ज्ञान ज्योती माई सावित्री फुले (लेखिका : विजया इंगोले)
- ज्ञानज्योती सावित्रीबाई फुले (लेखिका उषा पोळ-खंदारे)
- Savitribai - Journey of a Trailblazer (Publisher : Azim Premji University)
- Shayera.Savitri Bai Phule (in urdu)Author Dr.Nasreen Ramzan Sayyed
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